ब्राह्मी के 9 फायदे, उपयोग और नुकसान
ब्राह्मी का एक पौधा है, जो सदियों से भारत में दवाई के रूप में बीमारियों के इलाज के रूप में इस्तमाल की जा रही है। यह पौधा नम स्थानों में पाया जाता है, तथा मुख्यत, भारत ही इसकी उपज भूमि है। यह पूर्ण रूपेण औषधी पौधा है।
ब्राह्मी कब्ज को दूर करती है। इसके पत्ते के रस को पेट्रोल के साथ मिलाकर लगाने से गठिया दूर होता है। ब्राह्मी में रक्त शुद्ध करने के गुण भी पाये जाते है। यह हृदय के लिये भी पौष्टिक होता है।
ब्राह्मी को यह नाम उसके बुद्धिवर्धक होने के गुण के कारण दिया गया है। इसे जलनिम्ब भी कहते हैं क्योंकि यह प्रधानतः जलासन्न भूमि में पाई जाती है। आयुर्वेद में इसका बहुत बड़ा नाम है।
ब्राह्मी के उपयोग:
- यह बहुपयोगी नर्व टॉनिक है जो मस्तिष्क को शक्ति प्रदान करता है । यह कमज़ोर स्मरण शक्ति वालों तथा दिमागी काम करने वालों के लिए विशेष लाभकारी है।
- ब्राह्मी का पावडर अल्प मात्रा में (२ ग्राम) दूध में मिलाकर छानकर लेने से अनिद्रा के रोग में फायदा होता है।
- ब्राह्मी का शरबत उन्माद रोग में लाभकारी होता है तथा गर्मियों में दिमाग को ठंडक प्रदान करता है।
- शहद के साथ इसके पत्तों का रस प्रयोग करने से उच्च रक्तचाप में लाभ मिलता है।
- बच्चों में दस्त लगने पर तीन अथवा चार पत्तियां जीरा तथा चीनी के साथ मिलाकर देने से तथा इसके पेस्ट को नाभि के चारों ओर लगाने से आराम मिलता है।
- त्वचा सम्बन्धी विकारों जैसे एक्जीमा तथा फोड़े फुंसियों पर इसकी पत्तियों के चूर्ण को लगाने से फायदा होता है।
- हाथीपाँव की शिकायत में सूजे हुए अंग पर इस पौधे के तने तथा पत्तियों का रस लगाने से सूजन कम करने में मदद मिलती है।
- चटनी बनाते समय ब्राह्मी के कुछ पत्ते चटनी में डाल कर इसका लाभ उठाया जा सकता है।
- ब्राह्मी को वास्तु शास्त्र में भी महत्पूर्ण दर्जा दिया गया है। ऐसे मन जाता है के जिस घर में ब्रहमी का पेड़ है, उस घर परिवार के बच्चों की स्मरण शक्ति अच्छी होती है। इस के आलावा उस घर में अचानक दुर्घटना होने की संभावना भी काम होती है।
सावधानियां- ब्राह्मी अधिक मात्रा में प्रयोग से कभी कभी त्वचा में खुजली तथा लालिमा हो सकती है अतः इसका कम मात्रा में ही प्रयोग करना उचित है। इसका प्रयोग करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरुर ले लें।